अल्लाह जो सारे संसार का सृष्टिकर्ता है, ज़िन्दा तथा नित्य स्थायी है। बेनियाज़ एवं सक्षम है। उसे मानवता के लिए मसीह का रूप धारण करके सूली पर चढ़कर जान देने की आवश्यकता नहीं है, जैसा कि ईसाई मानते हैं। वही जीवन देता है एवं वही जीवन लेता भी है। इसलिए वह मरा नहीं है और इसी तरह वह किसी का रूप धारण करके दुनिया में आया भी नहीं था। उसने ईसा मसीह -अलैहिस्सलाम- को हत्या एवं सूली पर चढ़ाए जाने से बचाया, जिस प्रकार उसने इब्राहीम -अलैहिस्सलाम- को आग से बचाया था, मूसा -अलैहिस्सलाम- को फ़िरऔन एवं उसकी फ़ौज से बचाया था और जिस प्रकार वह हमेशा अपने नेक बन्दों की सुरक्षा और हिफ़ाज़त करता आया है।
''तथा उनके (गर्व से) यह कहने के कारण कि निःसंदेह हमने ही अल्लाह के रसूल मरयम के पुत्र ईसा मसीह को क़त्ल किया। हालाँकि न उन्होंने उसे क़त्ल किया और न उसे सूली पर चढ़ाया, बल्कि उनके लिए (किसी को मसीह का) सदृश बना दिया गया। निःसंदेह जिन लोगों ने इस मामले में मतभेद किया, निश्चय वे इसके संबंध में बड़े संदेह में हैं। उन्हें इसके संबंध में अनुमान का पालन करने के सिवा कोई ज्ञान नहीं, और उन्होंने उसे निश्चित रूप से क़त्ल नहीं किया। बल्कि अल्लाह ने उसे अपनी ओर उठा लिया तथा अल्लाह सदा से हर चीज़ पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।'' [178] [सूरा अल-निसा : 157-158]