මිනිසුන් වෙත දේව දූතයන් නොයවා ඔවුන් වැනි මිනිස් දූතයින් එව්වේ ඇයි?

मानव के लिए जो उपयुक्त हो सकता है, वह उन्हीं की तरह मानव ही हो सकता है, जो उन्हीं की भाषा में उनसे बात करे और उनके लिए आदर्श हो। यदि उनकी ओर किसी फ़रिश्ते को रसूल बनाकर भेज जाता और वह कोई मुश्किल काम करता, तो लोग कहते कि फ़रिश्ता जो कर सकता है, हम कर नहीं सकते।

''(हे नबी!) आप कह दें कि यदि धरती में फ़रिश्ते निश्चिंत होकर चलते-फिरते होते, तो हम अवश्य उनपर आकाश से कोई फ़रिश्ता रसूल बनाकर उतारते।'' [174] [सूरा अल-इसरा : 95]

''और यदि हम उसे फ़रिश्ता बनाते, तो निश्चय उसे आदमी (के रूप में) बनाते और अवश्य उनपर वही संदेह डाल देते, जिस संदेह में वे (अब) पड़े हुए हैं।" [175] [सूरा अल-अन्आम : 9]

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