ඉස්ලාමය කඩුවෙන් පැතිරුණේ ද?

शब्द सैफ़ (तलवार) पवित्र क़ुरआन में एक बार भी नहीं आया है। वो देश जहाँ इस्लामी इतिहास ने जंगें नहीं देखीं, वहीं आज दुनिया के अधिकांश मुसलमान रहते हैं। उदाहरण के तौर पर इंडोनेशिया, भारत और चीन आदि को ले सकते हैं। इस्लाम के तलवार के ज़ोर से न फैलने का प्रमाण मुसलमानों द्वारा जीते गए देशों में आज तक ईसाइयों, हिंदुओं और अन्य लोगों का मौजूद रहना है। जबकि जिन देशों पर गैर-मुस्लिमों ने विनाशकारी युद्धों के द्वारा क़ब्जा किया और लोगों को ज़बरदस्ती अपना धर्म अपनाने पर मजबूर किया, उनमें मुसलमानों की संख्या बहुत कम है। आप सलीबी जंगों का इतिहास उठाकर देख सकते हैं।

जिनेवा विश्वविद्यालय के डाइरेक्टर एडौर्ड मोंटे ने एक व्याख्यान में कहा है : ''इस्लाम एक तेजी से फैलने वाला धर्म है, जो संगठित केंद्रों द्वारा दिए गए प्रोत्साहन के बिना अपने आप फैल रहा है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हर मुसलमान स्वभाव से एक मिशनरी है। एक मुसलमान विश्वास में मजबूत होता है और उसके विश्वास की तीव्रता उसके दिल और दिमाग पर हावी हो जाती है। इस्लाम का यह गुण किसी और धर्म में नहीं है। इस कारण से, आप देखते हैं कि ईमान के जोश से भरपूर मुसलमान जहाँ भी जाता है और जहाँ भी रुकता है, अपने धर्म का प्रचार करता है। वह जिस बुतपरस्त से भी मिलता है, उस तक ईमान का मज़बूत वायरस ट्रान्सफर कर देता है। आस्था के अलावा, इस्लाम सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के अनुकूल है। इस्लाम के पास माहौल के अनुकूलन होने और इस मजबूत धर्म की आवश्यकता के अनुसार माहौल को अनुकूलित करने की अद्भुत क्षमता है।'' ''अल-हदीक़ह मजमुअह अदब बारिअ व हिकमह बलीग़ह'', सुलैमान बिन सालेह अल-ख़राशी

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