उदाहरण के तौर पर क्या ईसाई यह नहीं मानते कि मुसलमान काफ़िर है, क्योंकि वह ट्रिनिटी के सिद्धांत में विश्वास नहीं रखता और उनकी मान्यता अनुसार उसपर विश्वास किए बिना (आकाश में) नेक लोगों के स्थान में प्रवेश संभव नहीं है। शब्द ''कुफ़्र'' का अर्थ सत्य का इंकार है। एक मुसलमान के लिए सत्य तौहीद (एकेश्वरवाद) है, जबिक ईसाई के लिए सत्य ट्रिनिटी है।