වඳුරන් මිනිසාගේ සම්භවය වේ යන අදහස මුස්ලිම්වරයෙකු පිළි නොගන්නේ ඇයි?

इस्लाम इस विचार को पूरी तरह से खारिज करता है और क़ुरआन ने यह स्पष्ट किया है कि अल्लाह तआला ने इंसान के सम्मान के तौर पर आदम -अलैहिस्सलाम- को दूसरी सभी सृष्टियों से अलग करके पैदा किया है, ताकि उसको धरती पर अपना ख़लीफ़ा बनाने के रब के उद्देश्य की प्राप्ति हो।

डार्विन के अनुयायी ब्रह्मांड के निर्माता के अस्तित्व में विश्वास करने वाले को एक पिछड़ा इंसान मानते हैं, क्योंकि वह उस चीज़ में विश्वास रखता है, जिसे उसने नहीं देखा है। मोमिन उसपर विश्वास रखता है, जो उसकी स्थिति को ऊंचा करता है और उसके दर्जे को बुलंद करता है, जबकि नास्तिक उसपर विश्वास रखते हैं, जो उन्हें नीचा और कम करता है। जो भी हो, प्रश्न यह है कि बाकी वानर अब तक बाकी इंसान के रूप में विकसित क्यों नहीं हुए?

सिद्धांत परिकल्पनाओं का एक समूह है। ये परिकल्पनाएँ किसी विशेष प्रत्यक्ष को देखने या उसपर विचार करने से आती हैं और इन परिकल्पनाओं को सिद्ध करने के लिए, सफल प्रयोग या प्रत्यक्ष अवलोकन की आवश्यकता होती है, जो इस परिकल्पना को वैधता प्रदान करे। यदि सिद्धांत से संबंधित परिकल्पनाओं में से कोई एक सिद्ध न की जा सके, न तो प्रयोग द्वारा और न ही प्रत्यक्ष अवलोकन से, तो सिद्धांत पर पूरी तरह से पुनर्विचार किया जाएगा।

यदि हम 60,000 साल से भी पहले हुए विकास का उदाहरण लें, तो सिद्धांत का कोई अर्थ नहीं होगा। अगर हम इसे नहीं देखते या इसका पालन नहीं करते हैं, तो इस तर्क को स्वीकार करने की कोई गुंजाइश नहीं है। अगर हाल ही में यह देखा गया कि पक्षियों की कुछ प्रजातियों में चोंच ने अपना आकार बदल लिया है, परन्तु वे पक्षियाँ ही रहीं, हालाँकि इस सिद्धांत के आधार पर अनिवार्य था कि पक्षियाँ दूसरी प्रजाति में विकसित हों। ."Chapter 7: Oller and Omdahl." Moreland, J. P. The Creation Hypothesis: Scientific

वास्तव में, यह विचार कि इंसान का मूल वानर था या वह वानर से विकसित हुआ है, यह कभी भी डार्विन के विचारों में से नहीं था। उसने केवल यह कहा है कि इंसान और वानर एक सामान्य और अज्ञात मूल से निकले हैं। इसे उन्होंने (द मिसिंग लिंक) कहा है, जिसका विशेष विकास हुआ और वह इंसान में बदल गया। हालाँकि मुसलमान डार्विन की बातों को पूरी तरह से खारिज करते हैं, परन्तु उन्होंने यह नहीं कहा है, जैसा कि कुछ लोग सोचते हैं कि वानर मनुष्य का पूर्वज है। इस सिद्धांत को पेश करने वाले स्वयं डार्विन ने कहा है कि उन्हें कई संदेह हैं। उन्होंने अपने साथियों को कई चिट्ठियाँ लिखी थीं, जिनमें उन्होंने अपने संदेह और खेद व्यक्त किए थे। [109] विकासवाद के सिद्धांत पर इस्लाम की क्या राय है?

यह प्रमाणित हो चुका है कि डार्विन एक पूज्य [110], के अस्तित्व पर विश्वास करते थे, परन्तु यह विचार कि इंसान जानवर से विकसित हुआ है, यह डार्विन के अनुयायियों की तरफ से उनके सिद्धांत में ज़्यादा किया गया है। उनके अनुयायी वास्तव में नास्तिक थे। मुसलमान इस बात पर अटल विश्वास रखते हैं कि अल्लाह ने आदम को सम्मानित किया, उन्हें धरती पर ख़लीफ़ा बनाया और इस खलीफा के स्थान के लिए उपयुक्त नहीं है कि वह जानवर या इस तरह की चीज़ से विकसित हो।

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