उदाहरण के तौर पर जब कोई व्यक्ति किसी स्टोर से कुछ खरीदना चाहे और अपने बड़े बेटे को वह चीज़ खरीदने को भेजने का फैसला करे कि उसे पहले से मालूम था कि उसका यह बेटा समझदार है, वह सीधे जाएगा और वह चीज़ खरीद लाएगा, जो उसका पिता चाहता है, जबकि उसे पता हो कि उसका दूसरा बेटा अपने साथियों के साथ खेलने लगेगा और पैसा नष्ट कर देगा। वास्तव में, यह एक कल्पना है, जिसपर पिता ने अपने निर्णय की बुनियाद रखी है।
भाग्यों की जानकारी हमारे एख्तियार के इरादे के विरुद्ध नहीं है। हमारी नीयतों एवं एख़्तियारों के बारे में अपने पूर्ण ज्ञान की बुनियाद पर अल्लाह हमारे कामों को जानता है। दरअसल अल्लाह इन्सान के मिज़ाज को जानता है। उसने हम सब को पैदा किया है और हमारे दिलों में भलाई या बुराई की जो इच्छाएँ हैं, वह उन्हें जानता है। वह हमारी नीयतों एवं कामों का भी ज्ञान रखता है। इस ज्ञान का उसके पास लिखा हुआ होना हमारे चयन करने के इरादे के विरुद्ध नहीं है। साथ ही यह भी ज्ञात हो कि अल्लाह का ज्ञान व्यापक है और मानव की आशाएँ कभी सच साबित होती हैं, तो कभी झूठ।
हो सकता है कि इंसान ऐसा काम करे जो अल्लाह की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ हो, परन्तु उसका यह काम अल्लाह के इरादे के विरूद्ध नहीं है। अल्लाह ने अपनी सृष्टि को चुनने का इरादा दिया है, मगर उनके यह काम, यद्यपि उनमें गुनाह हों, अल्लाह के इरादे के तहत ही हैं। ये उसके इरादे के ख़िलाफ़ नहीं हो सकते। इसलिए कि अल्लाह ने अपने इरादे से आगे बढ़ने की अनुमति किसी को नहीं दी है।
हम अपने दिलों पर ज़बरदस्ती नहीं कर सकते हैं और न अपनी चाहत के विरूद्ध किसी चीज़ को स्वीकार करने पर उन्हें मजबूर कर सकते। इसलिए कि हो सकता है कि हम किसी को डांट-डपट कर अपने साथ रहने पर मजबूर कर सकें, मगर हम उसे हमसे मोहब्बत करने पर मजबूर नहीं कर सकते। अल्लाह ने हमारे दिलों को हर तरह की मजबूरी से सुरक्षित रखा है। यही कारण है कि वह हमारी नीयतों एवं हमारे दिलों में जो कुछ है, उसके आधार पर हमारा हिसाब लेगा एवं हमें प्रतिफल देगा।