अल्लाह तआला ने अक़्ल देकर मनुष्य को अन्य सभी प्राणियों से अलग किया है और हमपर उन चीज़ों को हराम किया है, जो हमारी अक़्ल या शरीर को हानि पहुँचाएँ। इसलिए उसने हमपर हर नशा लाने वाली चीज़ को वर्जित कर दिया है, क्योंकि यह बुद्धि को भ्रष्ट कर देती है, उसे नुक़सान पहुँचाती है और उसे हर तरह के भ्रष्टाचार की ओर ले जाती है। शराब पीने वाला व्यक्ति हत्या कर सकता है, व्यभिचार कर सकता है, चोरी कर सकता है और इनके अलावा दूसरे बड़े अपराधों को भी अंजाम दे सकता है।
“ऐ ईमान वालो! बात यही है कि शराब तथा जुआ और थान (मूर्तियों के स्थान) तथा फ़ाल निकालने के पाँसे के तीर यह सब गंदी बातें, शैतानी काम हैं, इनसे बिल्कुल अलग रहो, ताकि तुम सफल हो जाओ।” [288] [सूरा अल-माइदा : 90]
शराब हर उस चीज़ का नाम है, जिसमें नशा हो। चाहे उसका नाम या शक्ल कुछ भी हो। अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फरमाया है : “हर नशा लाने वाली चीज़ शराब है और हर नशा लाने वाली चीज़ हराम है।” [289] इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।
इसका निषेध व्यक्ति और समाज पर इसके बड़े नुकसानों के आधार पर आया है।
ईसाई धर्म और यहूदी धर्म में भी शराब की मनाही है, लेकिन आज ज्यादातर लोग इसे लागू नहीं करते हैं।
"शराब का ठट्ठा उड़ाया जाता है, मादक अश्लील है, और जो कोई नशे के कारण लड़खड़ाता है, वह बुद्धिमान नहीं।" [290] [नीतिवचन, अध्याय 20, पद्य 1]
"और मद पीकर मतवाले न होना, जिसमें लुच्चापन होता है।" [291] [इफिसियों, अध्याय 5, पद 18]
प्रसिद्ध चिकित्सा पत्रिका, द लांसेट ने 2010 में व्यक्ति और समाज के लिए सबसे विनाशकारी दवाओं (drugs) पर एक शोध प्रकाशित किया था। अध्ययन शराब, हेरोइन, तंबाकू और अन्य सहित 20 दवाओं पर आधारित था। 16 कसौटियों के आधार पर इनका मूल्यांकन किया गया था, जिनमें व्यक्ति पर नुक़सान से संबंधित नौ मानदंड और दूसरों को नुक़सान पहुंचाने से संबंधित सात मानदंड शामिल थे और मूल्यांकन को नम्बर सौ में से दिए गए थे।
इसका परिणाम यह था कि यदि हम व्यक्तिगत नुक़सान और दूसरों को होने वाले नुक़सान दोनों पर एक साथ विचार करें, तो अल्कोहल सबसे हानिकारक दवा है और पहले स्थान पर है।
एक अन्य अध्ययन ने शराब की सुरक्षित खपत का मध्यमान बताते हुए कहा है :
"उसके सेवन करने के परिणाम स्वरूप होने वाली हानियों एवं बीमारियों के कारण होने वाले जानी नुक़सान से बचने के लिए अल्कोहल का सुरक्षित सेवन शून्य है। इस बात का ऐलान शोधकर्ताओं ने खुद मशहूर वैज्ञानिक पत्रिका द लैंसेट की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट में किया है।" यह अध्ययन इस विषय पर अब तक का सबसे बड़ा डेटा विश्लेषण अध्ययन था। इसमें 1990 से 2016 के बीच के दुनिया भर के 28 मिलियन लोग शामिल थे, जो 195 देशों का प्रतिनिधित्व करते थे। ताकि (694 डेटा स्रोतों का उपयोग करके) शराब की खपत की व्यापकता और खपत मात्रा का अनुमान लगाया जा सके। साथ ही उस खपत का शराब से होने वाले नुकसान और स्वास्थ्य जोखिमों से क्या संबंध है (जो (नुकसान) बीमारी से पहले और बाद के 592 अध्ययनों से निकाले गए थे)। नतीजे बताते हैं कि शराब दुनिया भर में सालाना 2.8 मिलियन लोगों की मौत का कारण बनती है।
इस संदर्भ में, शोधकर्ताओं ने बाजार में शराब की उपस्थिति और इसके विज्ञापन को सीमित करने के लिए उसपर कर लगाने के उपायों को शुरू करने की प्रस्तावना के रूप में सिफारिश की, जो भविष्य में इसे बाजार से प्रतिबंधित करने की ओर पहला क़दम होगा। सच कहा है अल्लाह तआला ने, जब उसने कहा है :
“क्या अल्लाह समस्त हाकिमों का हाकिम नहीं है?” [सूरा अल-तीन : 8]