इंसान किसी पूज्य पर ईमान ज़रूर रखता है। चाहे वह ईमान किसी सच्चे माबूद पर रखे या किसी असत्य पूज्य पर। फिर वह उसे पूज्य कहे या कुछ और। उनका यह पूज्य कोई पेड़ भी हो सकता है। आकाश का कोई तारा, कोई औरत, ऑफ़िस का बाॅस या कोई वैज्ञानिक सिद्धांत भी हो सकता है। यह पूज्य उसकी आकांक्षा भी हो सकती है। इंसान का किसी न किसी चीज़ पर ईमान ज़रूरत होता है, जिसका वह अनुसरण करता है, जिसको पवित्र समझता है और जिसके निर्देश अनुसार जीवन बिताता है, बल्कि यदि उसके लिए जान देने की ज़रूरत पड़े तो जान भी दे देता है। हम इसी को इबादत कहते हैं। दरअसल सच्चे माबूद की इबादत इंसान को दूसरे लोगों या समाज की इबादत से मुक्ति प्रदान करती है।