उत्तर- इसका अर्थ यह है कि बन्दा अपनी ताक़त एवं शक्ति से एक स्थिति से दूसरी स्थिति में परिवर्तित नहीं हो सकता है, जो कुछ है वह अल्लाह की प्रदान की हुई है।