उत्तर- "अल्लाहुम्मा लकल हम्दु अन्ता कसौतनीहि. अस्अलुका ख़ैरहुू व ख़ैरा मा सुनिअ लहू, व अऊज़ुबिका मिन शर्रिहि व शर्रि मा स़ुनिअ लहू'' (ऐ अल्लाह! सारी प्रशंसा तेरी है कि तू ने मुझे यह कपड़ा पहनाया। मैं तुझसे इस कपड़े की भलाई तथा जिस काम के लिए इसे बनाया गया है, उसकी भलाई माँगता हूँ। इसी तरह मैं इसकी बुराई तथा जिस काम के लिए इसे बनाया गया है, उसकी बुराई से तेरी शरण माँगता हूँ)। इस हदीस को अबू दावूद और तिरमिज़ी ने रिवायत किया है।