उत्तर- ''नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद पढ़ें''। इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है। तथा कहें "अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़िहिद् दअ्वतित् ताम्मति, वस़्स़लातिल क़ाइमति, आति मुहम्मदनिल-वसीलता वल फ़ज़ीलता, वब्अस़्हू मक़ामम महमूदनिल्लज़ी वअत्तहू'' (ऐ अल्लाह! इस संपूर्ण आह्वान तथा खड़ी होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को वसीला (जन्नत का सबसे ऊँचा स्थान) और श्रेष्ठतम दर्जा प्रदान कर और उन्हें वह प्रशंसनीय स्थान प्रदान कर, जिसका तू ने उन्हें वचन दिया है। निश्चय ही तू वचन नहीं तोड़ता)। (बुख़ारी)।
अज़ान और नमाज़ खड़ी होने के बीच के समय दुआ करे, क्योंकि इस समय की गई दुआ रद्द नहीं होती है।