उत्तर-
1- अल्लाह तआला के अधिकारों की सुरक्षा करने की अमानत:
इसके कुछ रूप ये हैं: इबादतें जैसे नमाज़, रोज़ा, ज़कात और हज्ज इत्यादि, जिन्हें अल्लाह ने हम पर फ़र्ज़ किया है, उनको अदा करने में अमानत का ध्यान रखना।
2- बंदा के अधिकारों की सुरक्षा में अमानत:
* लोगों के सम्मान की सुरक्षा।
* उनके मालों की सुरक्षा।
* उनकी जानों की सुरक्षा।
* उनके भेदों एवं हर वह चीज़ जो वे आपके पास अमानत के तौर पर रखें, उनकी सुरक्षा।
अल्लाह तआला ने सफल होने वालों के गुणों का उल्लेख करते हुए कहा है: (وَالَّذِينَ هُمْ لِأَمَانَاتِهِمْ وَعَهْدِهِمْ رَاعُونَ) ''और जो अपनी अमानतों की सुरक्षा तथा वचन का पालन करने वाले हैं''। [सूरा अल-मोमिनून: 8]