उत्तर- कायरता यह है कि इंसान उससे डरे जिससे डरना उचित नहीं है।
जैसे कि सत्य बात कहने एवं बुराई का इंकार करने से डरना।
बहादुरी या साहस: और वह हक़ के लिए आगे बढ़ना है, जैसे कि इस्लाम एवं मुसलमानों की रक्षा के लिए जिहाद के मैदान में आगे बढ़ना।
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी दुआ में कहा करते थे: ऐ अल्लाह! मैं कायरता से तेरी शरण माँगता हूँ''। तथा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा है: शक्तिशाली मोमिन कमज़ोर मोमिन के मुकाबले में अल्लाह के समीप अधिक बेहतर तथा प्रिय है, जबकि भलाई दोनों के अंदर मौजूद है''। इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।