प्रश्न 24: आलस क्या है?

उत्तर- भलाई का काम या जो काम करना इंसान पर वाजिब है, उसे बोझल मन से करना।

जैसे कि: वाजिब कामों को करने में सुस्ती दिखाना।

उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा है: (إِنَّ الْمُنَافِقِينَ يُخَادِعُونَ اللَّهَ وَهُوَ خَادِعُهُمْ وَإِذَا قَامُوا إِلَى الصَّلَاةِ قَامُوا كُسَالَى يُرَاءُونَ النَّاسَ وَلَا يَذْكُرُونَ اللَّهَ إِلَّا قَلِيلًا) “बेशक मुनाफ़िक़ लोग अल्लाह से चालबाज़ियाँ कर रहे हैं और वह उन्हें इस चालबाज़ी का बदला देने वाला है, और जब वे नमाज़ के लिए खड़े होते हैं तो बड़ी काहिली की हालत में खड़े होते हैं, सिर्फ़ लोगों को दिखाते हैं, और अल्लाह को याद तो यूँ ही नाम के वास्ते करते हैं”[सूरा अल-निसा: 142]

मुसलमानों को सुस्ती, काहिली, ग़फ़लत एवं आलस से बाहर आना चाहिए एवं इस दुनिया में हर उस काम व अमल के लिए कोशिश करनी चाहिए जिससे अल्लाह राज़ी हो।