उत्तर- 1- कहें: ''बिस्मिल्लाहि, अल्हम्दुलिल्लाहि'' (शुरू अल्लाह के नाम से एवं सारी प्रशंसा अल्लाह की है)। सुब्हानल्लज़ी सख़्ख़रा लना हाज़ा वमा कुन्ना लहू मुक़रिनीन... (पवित्र है वह, जिसने इसे हमारे वश में कर दिया, अन्यथा हम इसे अपने वश में नहीं कर सकते थे...), व इन्ना इला रब्बिना ल,मुन्क़लिबून'' तथा हम अवश्य ही अपने रब की ओर फिरकर जाने वाले हैं)। [सूरा अल-ज़ुख़रुफ़: 13,14]
2- जब किसी मुसलमान के पास से होकर गुज़रें तो उसे सलाम करें।