उत्तर- अनस -रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है, कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: तुममें से कोई उस समय तक मोमिन नहीं हो सकता, जब तक वह अपने भाई के लिए वही पसंद न करे, जो अपने लिए पसंद करता है''। इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
इस ह़दीस से चयनित कुछ लाभ निम्न हैंः
1- मोमिन पर वाजिब है कि वह अपने दूसरे मोमिन भाइयों के लिए वही पसंद करे जो अपने लिए पसंद करता है।
2- यह ईमान के मुकम्मल होने के लिए ज़रूरी है।
* आठवीं हदीस़: