प्रश्न 6: सूरा अल-अस़्र पढ़ें और उसकी व्याख्या करें?

उत्तर- सूरा अल-अस़्र और उसकी तफ़सीर:

अल्लाह के नाम से, जो अत्यंत दयावान्, असीम दयालु है।

सौगन्ध है काल (ज़माना) की। निस्संदेह, (सारे) लोग घाटे में हैं। सिवाय उन लोगों के, जो ईमान लाए, नेक काम किए तथा एक-दूसरे को सत्य को अपनाने की नसीहत करते रहे और धैर्य का उपदेश देते रहे। [सूरा अल-अस्र्: 1-3]

तफ़सीर (व्याख्या):

1- ''वल अस्रि'' पाक व पवित्र अल्लाह ने युग की क़सम खाई है।

2- ''इन्नल इंसाना लफ़ी ख़ुसरिन'', अर्थात, सभी इंसान नुक़सान एवं बर्बादी में हैं।

3- ''इल्लल लज़ीना आमनू व अमिलुस़् स़ालिहाति, व तवास़ौ बिल् हक़्क़ि व तवास़ौ बिस़्स़ब्रि'', अर्थात केवल वही लोग घाटे एवं बर्बादी में नहीं हैं जो ईमान लाए, नेक काम किए, सत्य की ओर लोगों को बुलाया एवं इस रास्ते में जो कठिनाइयाँ मिलीं, उन पर धैर्य से काम लिया। वही लोग नुक़सान से बच गए।