प्रश्न 16: सूरा अल-फ़लक़ पढ़ें और उसकी तफ़सीर बयान करें?

उत्तर- सूरा अल-फ़लक़ और उसकी तफ़सीर:

अल्लाह के नाम से, जो अत्यंत दयावान्, असीम दयालु है।

((ऐ नबी!) कह दीजिए कि मैं सुबह के रब की शरण में आता हूँ। उस चीज़ की बुराई से, जो उसने पैदा की है। तथा अंधेरी रात की बुराई से, जब वह छा जाए। तथा गाँठ लगा कर उसमें फूँकने वालियों की बुराई से। तथा ईर्ष्या करने वाले की बुराई से, जब वह ईर्ष्या करे)। [सूरा अल-फ़लक़: 1-5]

तफ़सीर (व्याख्या):

1- ''क़ुल अऊज़ु बिरब्बिल फ़लक़ि'', आप कह दें, हे रसूल! मैं स़ुबह के रब को मज़बूती के साथ पकड़ता हूँ एवं उसकी शरण में आता हूँ।

2- ''मिन शर्रि मा ख़लक'', उस चीज़ की बुराई से जो सृष्टियों को कष्ट पहुँचाए।

3- ''व मिन शर्रि ग़ासिक़िन इज़ा वक़ब'', मैं अल्लाह की शरण में आता हूँ उस चीज़ की बुराई से जो रात में प्रकट होते हैं जैसे कि चौपाये, रेंगने वाले जीव या चोर।

4- ''व मिन शर्रिन् नफ़्फ़ास़ाति फ़िल उक़द'', और मैं अल्लाह की पनाह चाहता हूँ उन जादूगरनियों की बुराई से जो गांठों में फ़ूँकती हैं।

5- ''व मिन शर्रि ह़ासिदिन इज़ा हसद'', और मैं अल्लाह की शरण में आता हूँ हर ईर्ष्या, हसद एवं जलन करने वाले की बुराई से जब वह अल्लाह की दी हुई नेमतों पर लोगों से हसद करे, उनसे उनके ख़त्म हो जाने की कामना करे और उनके कष्ट में पड़ जाने की दुआ करे।