उत्तर- सूरा अन-नस़्र और उसकी तफ़सीर:
अल्लाह के नाम से, जो अत्यंत दयावान्, असीम दयालु है।
(हे नबी!) जब अल्लाह की सहायता एवं (मक्का) विजय आ जाए। और आप लोगों को अल्लाह के धर्म में झुंड के झुंड प्रवेश करते हुए देख लें। तो आप अपने रब की महिमा एवं प्रशंसा करने में लग जाएं और उससे क्षमा की प्रार्थना करें, निःसंदेह वह बड़ा क्षमा करने वाला है। [सूरा अन-नस़्र: 1-3]
तफ़सीर (व्याख्या):
1- ''इज़ा जाआ नस़रुल्लाहि वलफ़त्हु'', हे नबी! जब तेरे दीन के लिए अल्लाह की मदद एवं शक्ति आ गई, और मक्का विजय हो गया।
2- ''व रऐतन्नासा यदख़ुलूना फ़ी दीनिल्लाहि अफ़वाजा'' और आप लोगों को झुंड पर झुंड अल्लाह के दीन में प्रवेश करते हुए देख रहे हैं।
3- ''फ़सब्बिह़ बिह़म्दि रब्बिका वस्तग़्फ़िरहु इन्नहू काना तव्वाबा'', तो जान लें कि यह उस मिशन की समाप्ति के क़रीब होने का संकेत है, जिसके साथ आप भेजे गए थे। अतः आप मदद और विजय की नेमत पर आभार प्रकट करते हुए, अपने पालनहार की पवित्रता और महिमा का गुणगान करें, और उससे क्षमा याचना करें। निश्चय वह बहुत तौबा क़बूल करने वाला है, अपने बंदों की तौबा क़बूल करता और उन्हें क्षमा कर देता है।