उत्तर- सूरा अल-काफ़िरून और उसकी तफ़सीर:
अल्लाह के नाम से, जो अत्यंत दयावान्, असीम दयालु है।
(हे नबी!) ''कह दें किः हे काफ़िरो! मैं उन (मूर्तियों) को नहीं पूजता, जिन्हें तुम पूजते हो। और न तुम उसे पूजते हो, जिसे मैं पूजता हूँ। और न मैं उन मूर्तियों की इबादत करने वाला हूँ, जिनकी तुमने पूजा की है। और न तुम उसे पूजने वाले हो, जिसे मैं पूजता हूँ। तुम्हारे लिए तुम्हारा धर्म तथा मेरे लिए मेरा धर्म है''। [सूरा अल-काफ़िरून: 1-6]
तफ़सीर (व्याख्या):
1- ''क़ुल या अय्युहल काफ़िरून'', हे रसूल! आप कह दें किः हे अल्लाह को झुठलाने वालो!
1- ''ला अअ्बुदु मा तअ्बुदून'', कि मैं न अभी और न भविष्य में उन मूर्तियों की उपासना करुँगा जिनकी तुम पूजा करते हो।
3- ''वला अन्तुम अअ्बिदूना मा अअ्बुदु'', और न तुम उसकी इबादत करोगे जिस एक अल्लाह की मैं इबादत करता हूँ।
4- ''वला अना अअ्बिदुम मा अ्बत्तुम'', और न मैं उन मूर्तियों की पूजा करुंगा जिनको तुम पूजते हो।
5- ''वला अन्तुम अअ्बिदूना मा अअ्बुदू'', और न तुम उसकी इबादत करोगे जिस एक अल्लाह की मैं इबादत करता हूँ।
6- ''लकुम दीनुकुम व लिया दीन'', तुम्हारे लिए तुम्हारा धर्म है, जिसको तुमने अपने लिए गढ़ लिया है, और मेरे लिए मेरा धर्म है जिसको अल्लाह ने मुझपर उतारा है।