उत्तर- सूरा अल-माऊन और उसकी तफ़सीर:
अल्लाह के नाम से, जो अत्यंत दयावान्, असीम दयालु है।
(हे नबी!) ''क्या तुमने उसे देखा, जो प्रतिकार (बदले) के दिन को झुठलाता है? यही वह है, जो अनाथ (यतीम) को धक्का देता है। और ग़रीब को भोजन देने पर नहीं उभारता। विनाश है उन नमाज़ियों के लिए, जो अपनी नमाज़ से अचेत हैं। और जो दिखावा (आडंबर) करते हैं। एवं प्रयोग में आने वाली सामान्य चीज़ों को देने से मना कर देते हैं''। [सूरा अल-माउन: 1-7]
तफ़सीर (व्याख्या):
1- ''अ,रऐतल्लज़ी युकज़्ज़िबु बिद्दीन'', क्या आपने जाना उसको जो क़यामत के दिन के बदले को नकारता है।
2- ''फ़ज़ालिकल्लज़ी यदुअ्उल यतीम'', वह वही है जो अनाथ को आवश्यकता पूर्ति करने से डाँट कर भगा देता है।
3- ''व ला यहुज़्ज़ु अला त़आमिल मिस्कीनि'', अर्थात वह फ़कीरों, गरीबों को न स्वयं खाना देता है और न ही दूसरों को खाना देने के लिए प्रेरित करता है।
4- ''फ़वैलुल्लिल मुस़ल्लीना'', बर्बादी एवं यातना है उन नमाज़ियों के लिए।
5- ''अल्लज़ीना हुम अन स़लातिहिम साहूना'', जो नमाज़ी अपनी नमाज़ की परवाह नहीं करते हैं और न ही उनके निर्धारित समय का ख़याल करते हैं।
6- ''अल्लज़ीना हुम युराऊना'', जो केवल दिखाने के लिए नमाज़ पढ़ते हैं या नेक काम करते हैं, अपने काम को लेकर अल्लाह के प्रति निष्ठावान नहीं हैं।
7- ''व यमनऊनल माऊन'' और वे ऐसी चीज़ के द्वारा भी दूसरों की मदद करने से कतराते हैं, जिससे मदद करने में कोई नुक़सान नहीं है।