उत्तर- वुज़ू की सुन्नत का मतलब यह है कि यदि उसको किया जाए तो अधिक नेकी एवं प्रतिफल है, और यदि छोड़ दिया जाए तो कोई गुनाह नहीं है, वुज़ू सही हो जाएगा।
1- तस्मिया अर्थात बिस्मिल्लाह कहना,
2- दातून करना,
3- दोनों हथेलियों को धोना,
4- उंगलियों के बीच खिलाल करना,
5- अंगों को दो या तीन बार धोना,
6- दाएं से शुरू करना,
7- वुज़ू के बाद दुआ पढ़नाः "أشْهَدُ أنْ لا إلهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لا شَرِيكَ لَهُ، وأشهدُ أنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ" अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु वह़्दहू ला शरीक् लहू, व अश्हदु अन्ना मुह़म्मदन अब्दुहु व रसूलुहू (मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं है, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं है, तथा गवाही देता हूँ कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) उसके बंदे और रसूल हैं।)
8- और वुज़ू के बाद दो रक्अत नमाज़ पढ़ना।