उत्तर- यह इस्लाम को फैलाने और इस्लाम तथा मुसलमानों की रक्षा करने, या इस्लाम तथा मुसलमानों के शत्रुओं से लड़ने के लिए प्रयास और कोशिश करने को कहते हैं।
अल्लाह तआला फ़रमाता हैः (وَجَاهِدُوا بِأَمْوَالِكُمْ وَأَنْفُسِكُمْ فِي سَبِيلِ اللَّهِ ذَلِكُمْ خَيْرٌ لَكُمْ إِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُونَ) ''और अपने धनों तथा प्राणों से अल्लाह की राह में जिहाद करो, यही तुम्हारे लिए उत्तम है, यदि तुम ज्ञान रखते हो''। [सूरा अल-तौबा: 41]