प्रश्न 36: मुस्तहब स़दक़ा (जो करे तो बेहतर न करे तो कोई बात नहीं) क्या है?

उत्तर- वह ज़कात के अलावा है, जैसे किसी भी समय भलाई के कामों में ख़र्च करना।

अल्लाह तआला का फ़रमान हैः (وَأَنْفِقُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ) ''और अल्लाह के रास्ते में ख़र्च करो''। [सूरा अल-बक़रा: 195]