उत्तर- अल्लाह ने हमें किसी को उसका साझी बनाए बिना केवल अपनी पूजा करने के लिए पैदा किया है।
मस्ती और खेल-कूद के लिए नहीं।
सर्वोच्च अल्लाह का कथन हैः (وَمَا خَلَقْتُ الْجِنَّ وَالْإِنْسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ) "मैंने जिन्नों और इन्सानों को मात्र इसी लिए पैदा किया है कि वे केवल मेरी इबादत करें''। [सूरा अल-ज़ारियात: 56]