उत्तर- हम उनसे मुहब्बत करते हैं, धार्मिक समस्याओं एवं आपदाओं के समय उनका रुख करते हैं, उनका गुणगान करते हैं, जो उनकी बुराई बयान करता है, वह सही रास्ते पर नहीं है।
सर्वोच्च अल्लाह का कथन हैः (يَرۡفَعِ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا مِنكُمۡ وَٱلَّذِينَ أُوتُوا ٱلۡعِلۡمَ دَرَجَـٰتۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِير ) ''अल्लाह तुम लोगों में से ईमान वालों एवं ज्ञान वालों के दर्जे को ऊँचा करता है, और जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उनको अच्छी तरह जानता है''। [सूरा अल-मुजादला: 11]