उत्तर- वह अल्लाह तआला का कलाम है, उसकी मख़लूक़ (सृष्टि) नहीं है।
अल्लाह तआला का फ़रमान हैः (وَإِنْ أَحَدٌ مِنَ الْمُشْرِكِينَ اسْتَجَارَكَ فَأَجِرْهُ حَتَّى يَسْمَعَ كَلَامَ اللَّهِ) "और यदि मुश्रिकों में से कोई तुमसे शरण माँगे, तो उसे शरण दो, यहाँ तक कि अल्लाह की बातें सुन ले"। [सूरा अल-तौबा: 6]