उत्तर: अल्लाह तआला पर ईमान:
इस बात पर ईमान कि अल्लाह ही ने आपको पैदा किया है, वही आपको खाना देता है, केवल वही सभी सृष्टियों का मालिक एवं प्रबंध करने वाला है।
वही माबूद (पूज्य) है, उसके सिवा कोई सत्य माबूद नहीं है।
वह बड़ा, महान एवं सम्पूर्ण है, उसी के लिए सारी प्रशंसा है, उसके अच्छे अच्छे नाम एवं उच्च गुण हैं, उसके बराबर कोई नहीं और न उस पवित्र के जैसा कोई है।
फ़रिश्तों पर ईमान:
वह एक सृष्टि है जिसको अल्लाह ने नूर से, अपनी इबादत एवं अपने आदेश का पूर्ण अनुसरण करने के लिए पैदा किया है।
उन्हीं में से जिब्रील अलैहिस्सलाम हैं, जो नबियों के पास वह्यी (संदेश) लेकर आते थे।
पवित्र ग्रंथों पर ईमान।
ये वो ग्रंथ हैं जिनको अल्लाह ने अपने रसूलों पर उतारा है,
जैसे कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर क़ुरआन,
ईसा अलैहिस्सलाम पर इंजील
मूसा अलैहिस्सलाम पर तौरात,
दावूद अलैहिस्सलाम पर ज़बूर
और इब्राहीम एवं मूसा अलैहिमास्सलाम पर स़हीफ़े।
संदेष्टाओं (रसूलों) पर ईमान:
ये वो लोग हैं जिन्हें अल्लाह ने अपने बन्दों के पास भेजा, ताकि उन्हें उनका धर्म सिखाएं, उन्हें भलाई एवं जन्नत का शुभसंदेश दें और उन्हें बुराई तथा नरक से सचेत करें।
उनमें से सबसे श्रेष्ठ उलुल अज़्म (दृढ़ता वाले रुसुल) हैं, जोकि ये हैं:
नूह अलैहिस्सलाम,
इब्राहीम अलैहिस्सलाम,
मूसा अलैहिस्सलाम,
ईसा अलैहिस्सलाम,
और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम।
अंतिम दिन (आख़िरत के दिन) पर ईमान:
इसका अर्थ है, ईमान रखनाः मृत्यु के बाद क़ब्र की स्थिति पर, क़यामत के दिन पर, तथा उठाए जाने (पुनरुत्थान) और हिसाब के दिन पर, जब स्वर्ग वाले अपने ठिकाने में स्थिर हो जाएंगे एवं नरक वाले अपने ठिकाने में।
तक़दीर की अच्छाई और बुराई पर ईमान:
तक़दीर या भाग्य: यह विश्वास रखना है कि ब्रह्मांड में जो कुछ होता है, अल्लाह सब को जानता है, उसने उसे संरक्षित किताब में लिख लिया है, फिर उसने उसके अस्तित्व एवं पैदा करने को चाहा है।
अल्लाह तआला ने कहा है: (إِنَّا كُلَّ شَيْءٍ خَلَقۡنَـٰهُ بِقَدَر) ''हमने हर चीज़ को ख़ास अनुपात के साथ पैदा किया है''। [सूरा अल-क़मर: 49]
इसके चार दर्जे (श्रेणियां) हैं:
पहला दर्जा: अल्लाह का जान लेना, इसी में से है कि उसका ज्ञान हर चीज़ से पहले है, चीज़ों के घटित होने से पहले भी और घटित होने के बाद भी।
इसका प्रमाण: उच्च एवं महान अल्लाह का यह फ़रमान है: (إِنَّ اللَّهَ عِنْدَهُ عِلْمُ السَّاعَةِ وَيُنَزِّلُ الْغَيْثَ وَيَعْلَمُ مَا فِي الْأَرْحَامِ وَمَا تَدْرِي نَفْسٌ مَاذَا تَكْسِبُ غَدًا وَمَا تَدْرِي نَفْسٌ بِأَيِّ أَرْضٍ تَمُوتُ إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ خَبِيرٌ) ''निःसंदेह, अल्लाह ही के पास है प्रलय का ज्ञान, वही उतारता है वर्षा और जानता है जो कुछ गर्भाशयों में है, और नहीं जानता कोई प्राणी कि वह कल क्या कमायेगा, और नहीं जानता कोई प्राणी कि किस धरती में मरेगा। वास्तव में, अल्लाह ही सब कुछ जानने वाला, सबसे सूचित है''। [सूरा लुक़मान: 34]
दूसरा दर्जा: अल्लाह ने उसे संरक्षित पुस्तक (लौह़ -ए- मह़फूज़) में लिख लिया है, हर चीज़ जो घटित हुई या होगी, सब कुछ उसके पास पुस्तक में लिखी हुई है।
इसका प्रमाण: उच्च एवं महान अल्लाह का यह फ़रमान है: (وَعِنْدَهُ مَفَاتِحُ الْغَيْبِ لَا يَعْلَمُهَا إِلَّا هُوَ وَيَعْلَمُ مَا فِي الْبَرِّ وَالْبَحْرِ وَمَا تَسْقُطُ مِنْ وَرَقَةٍ إِلَّا يَعْلَمُهَا وَلَا حَبَّةٍ فِي ظُلُمَاتِ الْأَرْضِ وَلَا رَطْبٍ وَلَا يَابِسٍ إِلَّا فِي كِتَابٍ مُبِينٍ) "और उसी (अल्लाह) के पास गैब की कुंजियाँ हैं, जिनको सिर्फ वही जानता है, और जो थल और जल में है, उन सभी को वह जानता है, और जो भी पत्ता गिरता है उसे भी वह जानता है, और जमीन के अंधेरों में जो भी दाना है और जो भी तर (आर्द्र) तथा ख़ुश्क (सूखा) है, सब कुछ एक खुली किताब में है"। [सूरा अल-अन्आम: 59]
तीसरा दर्जा: हर चीज़ अल्लाह की चाहत से ही होती है, कोई भी चीज़ नहीं होती है, या कुछ पैदा नहीं होता है, मगर जब वह चाहता है।
इसका प्रमाण: उच्च एवं महान अल्लाह का यह फ़रमान है: (لِمَنْ شَاءَ مِنْكُمْ أَنْ يَسْتَقِيمَ 28 وَمَا تَشَاءُونَ إِلَّا أَنْ يَشَاءَ اللَّهُ رَبُّ الْعَالَمِينَ 29) “(विशेष रूप से) उसके लिए जो तुम में से सीधे मार्ग पर चलना चाहे। तथा तुम बिना समस्त जगत के रब के चाहे, कुछ नहीं चाह सकते”। [सूरा अत-तकवीर: 28, 29]
चौथा दर्जा: इस बात पर ईमान कि समस्त सृष्टि अल्लाह द्वारा बनाई गई है, उसी ने उनके व्यक्तित्व, उनके गुण, उनकी चाल और उनमें सब कुछ पैदा किया है।
इसका प्रमाण: उच्च एवं महान अल्लाह का यह फ़रमान है: (وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ) “हालाँकि अल्लाह ने तुम को और जो तुम करते हो, सबको पैदा किया है”। [सूरा अस-साफ़्फ़ात: 96]